पर जब सोचूँ में उसकी उम्र तो दिल जुर जुर रोये
छोटी सी चिड़िया हुई शिकार , दिन काट रही वो भी अस्पताल में
इंसानियत तो रही नही इंसानों में , जहर गोल दिया बच्ची के जीवन में
नन्ही सी परी ने तो अपना बचपन खोया
देख कर उसकी वो खबर मै आज खूब रोया
मर गया जमीर उन लोगों का , जिन्होंने बच्ची को भी नहीं छोड़ी
सब को जेल में इख्ठ्ठा करना ही न्याय नहीं , शर्म तो करो थोड़ी
उन्हें भी उस दर्द का अहसास हो ऐसी उन्हें सजा दे दो
5 साल की बच्ची पुकार रही अब उसे तो इंसाफ दे दो
सहन कर लिया मैने तो वो संग्राम जो था उस हेवान के साथ
तन के घाव तो भर जायेंगे , मन के घाव में कोन देगा मेरा साथ
जुल्मी तो खुला घूम रहा दुनिया में , मैं काट रही जीवन चार दीवारों में
सजा मिली मुझे क्या उसे भी मिलेंगी, ऐसी सजा खुदा किसी को ना दे उसके जीवन में
अब देखना हैं कि कोन रण विजय होता हैं , कोन हैं अब किसी के साथ ये देखना हैं
सभी से मेरा निवेदन हैं , चुप रहोंगे कब तक या अभी और जुल्म देखना हैं
Posted By - Chandan Rathore